Sunday, January 2, 2011

Karishma

भेजा था मौला ने मुझे ये फरमान
मिल जाएगा तेरे दिलबर को हर मुकाम
गर फासला हो जाये हमारे दरमियाँ
मिटा दूँ मैं अपने दिल से उसका नाम


हस्ते हस्ते मैने ये मंज़ूर कीया
चाहत दफ़न करने पर दिल को मजबूर कीया


माँगा खुदा से हर गम खुदके लिए
रहे पूरी कायनाथ की मुस्कराहट उसके लिए


उसे जन्नते अता हुई खुदा से
जब कीमत-ऐ-अश्क बहे मेरी निगाह से


पर मुझसे दूर होना उसे गवारा नहीं था
यकीन था प्यार झूठा हमारा नहीं था
मैं लाख सतालूं उसे पर मुझसे न रूठती थी
बस एक सदा ही उसके दिल से उठती थी
कि हम जीयें, साथ हम मरे साथ
मेरी पलकों में बीते उसकी हर रात

नामंजूर की उसने ऐसी खुशियाँ
जो बढ़ाती थी हमारे बीच दूरियाँ
कहती थी कुछ देर जगमगाते है ऐसे तारे
फिर टूट कर बिखर जाते है सब सितारे
कौनसी ख़ुशी में तुम बिन मज़ा है
तुम्हारे बिन तो सांस लेना भी सज़ा है

देखके मेरे हैबर का प्यार
खुदा ने अपने फैसले से किया इनकार
उसकी हर बात से हुआ सहमत
बरसी हमपर खुदा की रहमत

हुआ दो दिलों का ऐसा मिलन
कहलाते है वो आज भी राधा-किशन