तेरे इश्क की है दीवानगी पर कभी कहा नहीं
हर वक़्त तेरे लिए आवारगी पर कभी कहा नहीं
बेक़रार हो गया तेरे लिए पर कभी कहा नहीं
प्यार हो गया तुझसे पर कभी कहा नहीं
दीदार किया चुप चुप के पर कभी कहा नहीं
प्यार किया चुप चुप के पर कभी कहा नहीं
इज़हार करना चाहा पर कभी कहा नहीं
ऐतबार तो था पर कभी कहा नहीं
( इक दिन उसे पाकर खुश हो गए पर दूसरे ही दिन )
देखा किसी और की बाहों में पर कभी कहा नहीं
अँधेरा ही है अपनी राहों में पर कभी कहा नहीं
बदला आँखों से हर मंज़र पर कभी कहा नहीं
छूट गया हमसफ़र पर कभी कहा नहीं
नहीं है अब कोई मंजिल पर कभी कहा नहीं
तू है हमारा कातिल पर कभी कहा नहीं
हाथों में है जाम पर कभी कहा नहीं
प्यार का यही है अंजाम पर कभी कहा नहीं
( उसे भूलने के बाद भी )
अधूरा था तुझ बिन पर कभी कहा नहीं
आज पूरा हूँ तुझ बिन पर कभी कहा नहीं
यादों में है तू पर कभी कहा नहीं
बेवफा है तू पर कभी कहा नहीं
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