Monday, September 6, 2010

Kabhi Kaha Nahi

तेरे  इश्क  की  है  दीवानगी  पर  कभी  कहा  नहीं
हर  वक़्त  तेरे  लिए  आवारगी  पर  कभी  कहा  नहीं

बेक़रार  हो  गया  तेरे  लिए  पर  कभी  कहा  नहीं
प्यार  हो  गया  तुझसे  पर  कभी  कहा  नहीं

दीदार  किया  चुप  चुप  के  पर  कभी  कहा  नहीं
प्यार  किया  चुप  चुप  के  पर  कभी  कहा  नहीं

इज़हार  करना  चाहा  पर  कभी  कहा  नहीं
ऐतबार  तो  था  पर  कभी  कहा  नहीं

( इक  दिन  उसे  पाकर  खुश  हो  गए  पर  दूसरे  ही  दिन )

देखा  किसी  और  की  बाहों  में  पर  कभी  कहा  नहीं
अँधेरा  ही  है  अपनी  राहों  में  पर  कभी  कहा  नहीं

बदला  आँखों  से  हर  मंज़र  पर  कभी  कहा  नहीं
छूट  गया  हमसफ़र  पर  कभी  कहा  नहीं

नहीं  है  अब  कोई  मंजिल  पर  कभी  कहा  नहीं
तू  है  हमारा  कातिल  पर  कभी  कहा  नहीं

हाथों  में  है  जाम  पर  कभी  कहा  नहीं
प्यार  का  यही  है  अंजाम  पर  कभी  कहा  नहीं

( उसे  भूलने  के  बाद  भी  )

अधूरा  था  तुझ  बिन  पर  कभी  कहा  नहीं
आज  पूरा  हूँ  तुझ  बिन  पर  कभी  कहा  नहीं

यादों  में  है  तू  पर  कभी  कहा  नहीं
बेवफा  है  तू  पर  कभी  कहा  नहीं

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