कभी दूर दरिया के उस पार से दो निगाहों ने हमारा दीदार किया था ....
मुहब्बत का ज़ालिम गुनाह हमारे दिल ने भी प्यार किया था ....
वफ़ा की घनी अँधेरी राहों पे हमने भी ऐतबार किया था ...
उस पास के दूर दिल पे हमारे दिल ने ही इख्तियार किया था ....
मुहब्बत का ज़ालिम गुनाह हमारे दिल ने भी प्यार किया था ....
वफ़ा की घनी अँधेरी राहों पे हमने भी ऐतबार किया था ...
उस पास के दूर दिल पे हमारे दिल ने ही इख्तियार किया था ....