Tuesday, July 5, 2011

Jab pyaar kiya tha

कभी  दूर  दरिया  के  उस  पार  से  दो  निगाहों  ने  हमारा  दीदार  किया  था ....
मुहब्बत  का  ज़ालिम  गुनाह  हमारे  दिल  ने  भी  प्यार  किया  था ....
वफ़ा  की  घनी  अँधेरी  राहों  पे  हमने  भी  ऐतबार  किया  था ...
उस  पास  के  दूर  दिल  पे  हमारे  दिल  ने  ही  इख्तियार  किया  था ....

KARZ......

कभी  दूर  होते  हैं , तो  न  जाने  क्या  क्या  फ़र्ज़  कर  लेते  हैं ....
जब  पास  होते  हैं  तो  आपको  अपने  दिल  में  दर्ज  कर  लेते  हैं ....
यह  तो  आपकी  ही  मुहब्बत  का  आलम  है  साक़ी ...
जब  भी  तुलना  करते  हैं , खुदको  आपके  लिए  क़र्ज़  कर  लेते  हैं ....

Achha Lagta Hai.....

मैं  तो  न  था  उसका  तलबगार  कभी  भी  ‘Mohsin’.
कशिश  ही  उस  में  कुछ  ऐसी  थी ,  के  ज़िद  बन  गया  वो  मेरी …!

एसी  ज़िद  के  आगे  झुक  जाना  अच्छा  लगता  है ....
उसके  लिए  हर  हद  से  गुज़र  जाना  अच्छा  लगता  है ....

माना  कभी  साथ  में  जी  नहीं  सकते
इसलिए  मर  जाना  अच्छा  लगता  है ....

Aukaat.....

मेरे  खुदा  ने  बहुत नवाज़ा  है  मुझको ,

मेरी  औकात  के  बराबर  मिलता  तो  शायद  “तुम”  न  मिलते ..!!

मैने  बिताया  हर  पल  तन्हाई  में  नदिया  किनारे  पे
काश  मुझे  भी  तोला  होता  मेरे  अश्कों  के  धारों  से

तो  कसम  तुम्हे  अपनी  औकात  बता  देते
इतना  चाहते  थे  की  सैलाब  बहा  देते .....

Thukraana.....


जिनके  रास्ते  का  हर  पत्थर  हम  हटाते  चले  गये 
उनकी  इंसानियत  तो   देखो  वोह  हमे  ठोकर  लगा  कर  चले  गये


एसा  भी  हुआ  मेरे  साथ
मिला  हर  कोई ....पर  चला  न  कोई  साथ

जब  तक  रहे  साथ  तब  तक  सरहाते  गए
हम  गिरे  भी  नहीं  थे
सँभालते  तो  क्या  वो  हमे
बस  ठुकरा  कर  चले  गए 


Saturday, July 2, 2011

Dar Lagta Hai

यूँ तो हमे कभी शायर कहते थे ,
मगर ना जाने आज क्यूँ अपनी पहचान से डर लगता है ,
शौकिया तौर पे हमारे दिल से खेला था
जाने कैसा खेल था कि आज भी ऐतबार से दिल डरता है