Saturday, November 20, 2010

Nahi Ho Rahi

बहुत कुछ बताना चाहता हूँ  
पर हिम्मत नहीं हो रही 
बहुत अकेला महसूस कर रहा हूँ 
पर किसी की भी ज़रूरत नहीं हो रही 

जी चाहता है खोल दूँ दिल के सब राज़ 
पर जुर्रत नहीं हो रही 
दिल तो बार बार बिखर रहा है 
पर टूटने की आहट नहीं हो रही 

बार बार रोना चाहता है ये दिल 
पर आँखों से बरसात नहीं हो रही 
उसकी बाहों के आग़ोश में सोना था 
पर कमबख्त रात नहीं हो रही 

कभी कभी खुश हो रहा था दिल
 पर बहारों की सौगात नहीं हो रही 
जादू ये कैसा है सामने हूँ तुम्हारे 
पर लबों से बात नहीं हो रही 


सब कुछ तो कह भी नहीं सकता 
और बयां दास्तान - ए - जज़्बात नहीं हो रही   

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