जिनके रास्ते का हर पत्थर हम हटाते चले गये
उनकी इंसानियत तो देखो वोह हमे ठोकर लगा कर चले गये
एसा भी हुआ मेरे साथ
एसा भी हुआ मेरे साथ
मिला हर कोई ....पर चला न कोई साथ
जब तक रहे साथ तब तक सरहाते गए
हम गिरे भी नहीं थे
सँभालते तो क्या वो हमे
बस ठुकरा कर चले गए
No comments:
Post a Comment